बीमा न पेंशन फिर काहे काहे का टेंशन।। लंबित मांगों को पूरा करवाने आंदोलन कर रहीं हैं, समर्थन मूल्य धान खरीदी समितियां।

अपनी जायज मांगों के लिए एकजुट होकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।। समिति के सदस्यों का कहना है कि हमारा काम है धान खरीदना।। लेकिन खरीदा गया धान लंबे समय तक समितियों में पड़े रहने के कारण सूखता भी है, चोरी भी होता है, और खराब मौसम से प्रभावित भी होता है।

समिति में काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि हमें न तो समय पर वेतन मिलता है और न ही हमारा कोई भविष्य है 
हमसे अच्छा वेतन या मजदूरी तो दैनिक आधार पर काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर की है।

इस बार आर या पार।अब हम सब एक हैं।।